Monika garg

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022# धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता # त्यौहार का साथ# ओणम

ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम का उत्सव चिंगम (सिंघम/सिंहम्) मास में भगवान वामन की जयन्ती और राजा बलि के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो दस दिनों तक चलता है।उत्सव त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास) केरल के एक मात्र वामन मन्दिर से प्रारम्भ होता है। ओणम में प्रत्येक घर के आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर सुन्दर रंगोलिया (पूकलम) डाली जाती हैं। युवतियां उन रंगोलियों के चारों ओर वृत्त बनाकर उल्लास पूर्वक नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं। इस पूकलम का प्रारम्भिक स्वरुप पहले (अथम के दिन) तो छोटा होता है परन्तु नित्य इसमें एक और वृत्त फूलों का बढ़ा दिया जाता है। ऐसे बढ़ते बढ़ते दसवें दिन (थिरुवोणम)  यह पूकलम वृहत आकार धारण कर लेता है। इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा बलि तथा उसके अंग-रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिटटी से बनायीं जाती है। ओणम में नौका दौड़ जैसे खेलों का आयोजन भी होता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को सुखों से भर देता है।
ओणम वामन और राजा महाबली का स्मरण करता है। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, ओणम केरल में एक पौराणिक राजा दैत्य राजा महाबली के शासन के तहत सुशासन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने कभी केरल पर शासन किया था। किंवदंती है कि महाबली की लोकप्रियता और उनकी शक्ति से ईर्ष्या करते हुए, देवताओं और देवताओं ने उनके शासन को समाप्त करने की साजिश रची। उन्होंने वामन को एक बौने ब्राह्मण के रूप में पृथ्वी पर भेजा जिसने महाबली को पाताल (नीदरवर्ल्ड) में रौंद दिया। वामन ने उदार महाबली से अपनी इच्छा के अनुसार महाबली से तीन फीट जमीन मांगी। चूंकि ब्राह्मण को उपहार देने से इनकार करना एक अपवित्र माना जाता है, महाबली वामन की इच्छा को पूरा करने के लिए तैयार हो गए। पहले दो चरणों में वामन ने अपना तीसरा पैर रखने के लिए कहीं भी छोड़कर ब्रह्मांड की संपूर्णता को मापा। महाबली ने इच्छा पूरी करने के लिए अपना तीसरा पैर रखने के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया। हालाँकि, महाबली की उदारता को देखते हुए, विष्णु ने राजा की एकमात्र इच्छा को हर साल एक बार अपनी भूमि और लोगों से मिलने की अनुमति दी। महाबली की इस घर वापसी को हर साल केरल में ओणम के रूप में मनाया जाता है।

ओणम का त्‍योहार दक्षिण भारत में खासकर केरल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है. 1 सितंबर से शुरू हुआ यह त्योहार 13 सितंबर तक मनाया जाएगा. ओणम इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसकी पूजा मंदिर में नहीं बल्कि घर में की जाती है.
 ओणम पर्व का खेती और किसानों से गहरा संबंध है. किसान अपने फसलों की सुरक्षा और अच्छी उपज के लिए श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं. फसल पकने की खुशी लोगों के मन में एक नई उम्मीद और विश्वास जगाती है.

इन दिनों पूरे घर की विशेष साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद लोग पूरे घर को फूलों से सजाते हैं.  घरों को फूलों से सजाने का कार्यक्रम  पूरे 10 दिनों तक चलता है. लोग अपने दरवाजों पर फूलों से रंगोली भी बनाते हैं.

ओणम उत्सव के दौरान एक पारंपरिक दावत समारोह का आयोजन किया जाता है.  इस समारोह में मीठे व्यंजनों के अलावा नौ स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं जिनमें पचड़ी  काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स  मुख्य रूप से बनाए जाते हैं . इन व्यंजनों को केले के पत्तों पर परोसा जाता है. लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते है।

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5 Comments

Rafael Swann

17-Nov-2022 01:06 PM

Shandar prastuti 👏

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Ayshu

16-Nov-2022 06:10 PM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

16-Nov-2022 06:04 PM

शानदार

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